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उत्तराखंड के वैज्ञानिकों ने उजागर किया हाइड्रोपोनिक्स का भविष्य: 1600 साल पुरानी तकनीक से आधुनिक खेती में क्रांति

By डॉ. सुमित पुरोहित | 1,April,2024 (Updated: 1,April,2024)
हाइड्रोपोनिक्स
कृषि
प्रौद्योगिकी
उत्तराखंड
उत्तराखंड के वैज्ञानिकों ने उजागर किया हाइड्रोपोनिक्स का भविष्य: 1600 साल पुरानी तकनीक से आधुनिक खेती में क्रांति

उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद् के वैज्ञानिकों ने हाइड्रोपोनिक्स की ऐतिहासिक जड़ों और आधुनिक खेती में इसकी अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

नैनीताल, उत्तराखंड

उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद् के क्षेत्रीय केंद्र, पटवाडांगर में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोपोनिक्स, या बिना मिट्टी की खेती, के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है, जिसमें इस तकनीक की ऐतिहासिक जड़ें और आधुनिक कृषि में इसकी अपार संभावनाएं शामिल हैं।

प्राचीन जड़ें, आधुनिक विज्ञान

अक्सर एक आधुनिक नवाचार के रूप में माना जाने वाला हाइड्रोपोनिक्स वास्तव में एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग लगभग 1600 साल पहले भी किया जाता था। डॉ. ए. गिरीक ने 1956 में "हाइड्रोपोनिक्स" शब्द का प्रयोग किया, जब उन्होंने खाद्य और सजावटी पौधों को उगाने के लिए पोषक तत्वों का उपयोग किया। यह शब्द ग्रीक शब्दों "हाइड्रो" (पानी) और "पोनस" (काम करना) से बना है, जो इस विधि के सार को दर्शाता है।

कैसे काम करता है हाइड्रोपोनिक्स?

हाइड्रोपोनिक्स में, पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति पानी में मिलाकर की जाती है, जिससे पौधों को उनकी आवश्यकतानुसार पोषण प्राप्त होता है। जड़ों द्वारा पोषक तत्वों का अवशोषण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तकनीकें उपयोग की जाती हैं, जिनमें गुरुत्वाकर्षण-आधारित प्रणालियां और हवा पंप या स्प्रे के माध्यम से पोषक तत्व वितरण शामिल हैं।

मिट्टी पर लाभ

अध्ययन बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक्स से उगाए गए पौधे मिट्टी में उगाए गए पौधों की तुलना में तेजी से बढ़ सकते हैं। यह लाभ संतुलित पोषक तत्व वितरण और मिट्टी से संबंधित रोगों की अनुपस्थिति के कारण है। इसके अतिरिक्त, हाइड्रोपोनिक्स महत्वपूर्ण रूप से पानी की बचत करता है। आर्थिक रूप से भी, हाइड्रोपोनिक खेती मिट्टी की खेती की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो सकती है, क्योंकि इसमें कम पानी का उपयोग होता है और मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है।

उपभोक्ताओं के लिए फायदे मंद है

हाइड्रोपोनिक्स न केवल किसानों को लाभ पहुंचाता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करता है। हाइड्रोपोनिक रूप से उगाए गए फल और सब्जियां अक्सर अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक पाए जाते हैं।

हाइड्रोपोनिक विधियों की विविधता

उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद् के वैज्ञानिकों ने विभिन्न हाइड्रोपोनिक विधियों पर प्रकाश डाला, जिनमें शामिल हैं:

  • डच बाल्टी विधि

  • एन.एफ.टी. (न्यूट्रिएंट फिल्म तकनीक)

  • राफ्ट विधि

  • एरोपोनिक विधि

  • पॉलीबैग विधि

  • एक्वापोनिक्स

पोषक तत्व प्रबंधन महत्वपूर्ण

सफल हाइड्रोपोनिक खेती के लिए महत्वपूर्ण कारकों में से एक पोषक तत्वों का सटीक प्रबंधन है। पौधों की वृद्धि के लिए पोषक तत्वों की मात्रा और पी.एच. स्तर की निगरानी और समायोजन करना आवश्यक है। पोषक तत्वों की सांद्रता को पी.पी.एम. (पार्ट्स प्रति मिलियन) और टी.डी.एस. (कुल घुलित ठोस) मीटर का उपयोग करके मापा जाता है। इस माप को विलयन की ई.सी. (विद्युत चालकता) के रूप में भी जाना जाता है और यह विलयन में आयनों की मात्रा को दर्शाता है।

पोषक तत्वों का अवशोषण और पी.एच.

पौधों द्वारा पोषक तत्वों का अवशोषण विलयन की अम्लीयता या क्षारीयता से प्रभावित होता है। पी.एच. पैमाने पर 1 से 14 तक के मान होते हैं, जिसमें 1 से 6 अम्लीय, 7 उदासीन और 8 से 14 क्षारीय होता है। अधिकांश पौधे 5.5 से 6.8 के पी.एच. स्तर पर पोषक तत्वों को सबसे कुशलता से अवशोषित करते हैं।

मैक्रो और माइक्रो पोषक तत्व

पौधों को दो मुख्य प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है:

  • मैक्रो पोषक तत्व: ये बड़ी मात्रा में आवश्यक होते हैं और इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) शामिल हैं।

  • नाइट्रोजन अमीनो एसिड, कोएंजाइम और क्लोरोफिल के लिए महत्वपूर्ण है।

  • फास्फोरस शर्करा, फॉस्फेट और एटीपी के निर्माण में शामिल है, और फल, फूल और जड़ विकास में सहायता करता है।

  • पोटेशियम प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक है और कठोरता, जड़ विकास और शर्करा उत्पादन में योगदान देता है।

  • सूक्ष्म पोषक तत्व: ये कम मात्रा में आवश्यक होते हैं लेकिन फिर भी पौधों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें कैल्शियम, सल्फर, लोहा, मैग्नीशियम, बोरॉन, जस्ता, मोलिब्डेनम और तांबा शामिल हैं। प्रत्येक सूक्ष्म पोषक तत्व पौधों में विशिष्ट भूमिका निभाता है, जैसे कोशिका भित्ति निर्माण, प्रोटीन संश्लेषण, क्लोरोफिल उत्पादन और एंजाइम क्रिया।

डॉ. सुमित पुरोहित
डॉ. सुमित पुरोहित

उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद् के वैज्ञानिक/प्रभारी

डॉ. सुमित पुरोहित का कहना है कि हाइड्रोपोनिक्स में टिकाऊ और कुशल कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने की अपार क्षमता है।

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