पर्वतीय क्षेत्र में किसान पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक तकनीकों के माध्यम से आजीविका संवर्धन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान के कारण खेती का जोखिम बढ़ गया है, जिससे ग्रामीण खेती से विमुख हो रहे हैं।
ग्राम जलना नीलपहाड़ी, धारी, नैनीताल से नीरज मेलकानी का कहना है कृषि कार्य को करने में जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, जंगली जानवरों द्वारा किए जाने वाले नुकसान की अधिकता को देखते हुए वर्तमान समय में किसानों द्वारा अपनी कृषि गतिविधियों को बहुत कम कर दिया है जिन लोगों द्वारा कृषि कार्य को किया जा रहा है उनकी इस कार्य पर निर्भरता न के बराबर है. पर्वतीय क्षेत्रों में बाहर के लोगों का आवागमन भी बहुत अधिक हो गया है जिसके चलते लोगों द्वारा उन्हें अपनी भूमि बेच दी गई है. वहीं इन भूमियो पर बड़े-बड़े भवनों/ रिसोर्ट/होमस्टे का निर्माण हो चुका है जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती जा रही है वहीं बाहर के लोगों द्वारा इनके निर्माण के उपरांत इनसे आय अर्जित की जा रही है|
कृषि कार्य में रुचि कम होने के चलते पहाड़ में आजीविका के संसाधनों की कमी के चलते युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है पर समय के साथ व मैदानी/शहरों के अनुभवों के उपरांत युवाओं द्वारा पहाड़ों के महत्व को समझ कृषि से हटकर पॉलीहाउस, बागवानी व अन्य क्षेत्र में कार्य करना प्रारंभ कर दिया है. उनका यह कदम आज आर्य सृजन का सशक्त माध्यम बन रहा हैं|
ग्राम महतोलिया, धारी, नैनीताल से नितिन महतोलिया द्वारा अपने अनुभव को सांझा करते हुए बताया उनके द्वारा उस खेत में पॉलीहाउस को लगाया गया जिसमें वर्ष भर कार्य करने के बाद 5 से 10 हजार की आय की जाती थी पर आज पॉलीहाउस में फूलों की खेती कर उसी खेत से सभी खर्चे के बाद 1 लाख तक की आय अर्जित की जा रही है. इस कार्य में पूर्व में घरवालों ने साथ नहीं दिया पर इच्छा व इसके महत्व को समझते हुए इस पर कार्य किया जिसका फल आज देखने को मिल रहा है आज उनके और उनके परिवार के चेहरे की मुस्कान उनकी सफलता का कारण बन गई है. और ग्राम के अन्य लोगों द्वारा भी इस कार्य को कर आय अर्जित की जा रही है।
आज पर्वतीय क्षेत्रों में यदि हम नजर डालते है तो अधिकांश घरों के आस पास पॉलीहाउस नजर आ जाते हैं आज कई काश्तकार इन पालीहाउस के माध्यम से विभिन्न उत्पादों के माध्यम से आय अर्जित कर मिशाल कायम कर रहे है. एक सोच में परिवर्तन लाया गया जो कृषि की जा रही थी उसमें बहुत अधिक मेहनत, समय लगने के उपरांत उतना आय नहीं हो पाती थी जितनी इन पालीहाउसो में कम मेहनत करके हो रही है।
आज की युवा पीढ़ी ने पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि कार्य में बदलाव के साथ नवीन तकनीकों की सहायता से परिवर्तन का दिया है चाहे वह कृषि क्षेत्र में हो या बागवानी या अन्य किसी क्षेत्र में बागवानी के क्षेत्र की बात की जाए तो आज हमारे पहाड़ों आडू, प्लम, सेब इत्यादि के बगीचे सफल उदाहरण के रूप में है जिनसे कृषक वर्ष भर में लाखों की आय कर रहे है।
रिपोर्टर, हल्द्वानी, नैनीताल (उत्तराखंड)
नरेन्द्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड के सामाजिक, पर्यावरणीय और ग्रामीण विकास से जुड़े विषयों पर लेखन और रिपोर्टिंग करते हैं।